Thursday, February 5, 2009

Sri Dev Suman, श्री देव सुमन



यह वीर है उस पुण्य भूमि का, जिसको मानसखंड , केदारखंड, उत्तराखंड कहा जाता है, स्वतंत्रता संग्रामी श्री देब सुमन किसी परिचय के मोहताज़ नही हैं, पर आज की नई पीड़ी को उनके बारे में, उनके अमर बलिदान के बारे में पता होना चाहिए, जिससे उन्हें फक्र हो इस बात पर की हमारी देवभूमि में सुमन सरीखे देशभक्त हुए हैं।
सुमन जी का जनम १५ मई १९१५ या १६ में टिहरी के पट्टी बमुंड, जौल्ली गाँव में हुआ था, जो ऋषिकेश से कुछ दूरी पर स्थित है। पिता का नाम श्री हरी दत्त बडोनी और माँ का नाम श्रीमती तारा देवी था, उनके पिता इलाके के प्रख्यात वैद्य थे। सुमन का असली नाम श्री दत्त बडोनी था। बाद में सुमन के नाम से विख्यात हुए। पर्ख्यात गाँधी- वादी नेता, हमेशा सत्याग्रह के सिधान्तों पर चले। पूरे भारत एकजुट होकर स्वतंत्रता की लडाई लड़ रहा था, उस लडाई को लोग दो तरह से लड़ रहे थे कुछ लोग क्रांतिकारी थे, तो कुछ अहिंसा के मानकों पर चलकर लडाई में बाद चढ़ कर भाग ले रहे थे, सुमन ने भी गाँधी के सिधान्तों पर आकर लडाई में बद्चाद कर भाग लिया। सुन्दरलाल बहुगुणा उनके साथी रहे हैं जो स्वयं भी गाँधी वादी हैं।


परजातंत्र का जमाना था, लोग बाहरी दुश्मन को भागने के लिए तैयार तो हो गए थे पर भीतरी जुल्मो से लड़ने [フレーム]की उस समय कम ही लोग सोच रहे थे और कुछ लोग थे जो पूरी तरह से आजादी के दीवाने थे, शायद वही थे सुमन जी, जो अंग्रेजों को भागने के लिए लड़ ही रहे थे साथ ही साथ उस भीतरी दुश्मन से भी लड़ रहे थे। भीतरी दुश्मन से मेरा तात्पर्य है उस समय के क्रूर राजा महाराजा। टिहरी भी एक रियासत थी, और बोलंदा बद्री (बोलते हुए बद्री नाथ जी) कहा जाता था राजा को। श्रीदेव सुमन ने मांगे राजा के सामने रखी, और राजा ने ३० दिसम्बर १९४३ को उन्हें गिरफ्तार कर दिया विद्रोही मान कर, जेल में सुमन को भरी बेडियाँ पहनाई गई, और उन्हें कंकड़ मिली दाल और रेत मिले हुए आते की रोटियां दी गई, सुमन मई १९४४ से आमरण अन्न शन शुरू कर दिया, जेल में उन्हें कई अमानवीय पीडाओं से गुजरना पड़ा, और आखिरकार जेल में २०९ दिनों की कैद में रहते हुए और ८४ दिनों तक अन्न शन पर रहते हुए २५ जुलाई १९४४ को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी लाश का अन्तिम संस्कार न करके भागीरथी नदी में बहा दिया । मोहन सिंह दरोगा ने उनको कई पीडाएं कष्ट दिए उनकी हड़ताल को ख़त्म करने के लिए कई बार पर्यास किया पर सफल नही हुआ।


कहते हैं समय के आगे किसी की नही चलती वही भी हुआ, सुमन की कुछ मांगे राजा ने नही मानी, सुमन जो जनता के हक के लिए लड़ रहे थे राजा ने ध्यान नही दिया, आज न राजा का महल रहा, न राजा के पास सिंहासन। और वह टिहरी नगरी आज पानी में समां गई है। पर हमेशा याद रहेगा वह बलिदान और हमेशा याद आयेगा क्रूर राजा।
और अब मेरे शोध से लिए गए कुछ तथ्य:-
सुमन को कुछ लोग कहते हैं की उनकी लडाई केवल टिहरी रियासत के लिए थी, पर गवाह है सेंट्रल जेल आगरा से लिखी उनकी कुछ पंक्तियाँ की वह देश की आज़ादी के लिए भी लड़ रहे थे।
"आज जननी उगलती है अगनियुक्त अंगार माँ जी,
आज जननी कर रही है रक्त का श्रृंगार माँ जी।
इधर मेरे मुल्क में स्वधीनता संग्राम माँ जी,
उधर दुनिया में मची है मार काट महान माँ जी। "
उनकी शहादत को एक कवि ने श्रधान्जली दी है-
"हुवा अंत पचीस जुलाई सन चौवालीस में तैसा, निशा निमंत्रण की बेला में महाप्राण का कैसा?
मृत्यु सूचना गुप्त राखी शव कम्बल में लिपटाया, बोरी में रख बाँध उसको कन्धा बोझ बनाया।
घोर निशा में चुपके चुपके दो जन उसे उठाये, भिलंगना में फेंके छाप से छिपते वापस आए।"
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी ने सुमन जी को याद करते हुए लिखा था-
"मै हिमालयन राज्य परिषद् के प्रतिनिधि के रूप में सेवाग्राम में गाँधी जी से १५ मिनट तक बात करते हुए उनसे मिला था, उनकी असामयिक मृत्यु टिहरी के लिए कलंक है। "
और सुंदर लाल बहुगुणा जी ने कहा-
"सुमन मरा नही मारा गया, मेने उसे घुलते-घुलते मरते देखा था। सुमन ने गीता पड़ने को मांगी थी पर नही दी गई, मरने पर सुमन का शव एक डंडे से लटकाया गया, और उसी तरह नदी में विसर्जित कर दिया गया।"
परिपूर्ण नन्द पेन्यूली ने कहा था-
"रजा को मालिक और स्वयं को गुलाम कहना उन्हें अच्छा नही लगा, जबकि राजा और प्रजा में पिता पुत्र का सम्बन्ध होता है।"
अपनी पत्नी विनय लक्ष्मी को उन्होंने कनखल से पत्र लिखा-
" माँ से कहना मुझे उनके लिए छोड़ दें जिनका कोई बेटा नही।"
और साथ में खर्चे की कमी के लिए उन्होंने लिखा-
"राह अब है ख़ुद बनानी, कष्ट, कठिनाइयों में धेर्य ही है बुद्धिमानी"

सुमनजी के बारे में पड़कर कैसा लगा अवश्य लिखें...
या फ़िर मुझे ई-मेल भेजें- click here..


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20 comments:

Udan Tashtari said...

सुमन जी और उनके बलिदान के विषय में पढ़कर नई जानकारियाँ मिली. उनकी याद को नमन और आपका आभार.

February 6, 2009 at 3:09 PM
Smart Indian said...

सुमनजी के बारे में जानकर अच्छा लगा!

February 6, 2009 at 7:21 PM
कडुवासच said...

... नई जानकारी पढने मिली, प्रभावशाली अभिव्यक्ति।

February 6, 2009 at 7:31 PM
shelley said...

bahut - bahut badhai islekh k liye . achchha laga suman ji ke bare me jankr. aapka blog bahut achchha hai.

February 7, 2009 at 4:26 AM
Anonymous said...

देव भूमि उत्तराखंड ऐसे अनेकों वीरों की गाथा से भरी है. सुमन को नमन.

February 7, 2009 at 11:57 PM
परमजीत सिहँ बाली said...

नयी जानकारी मिली।आभार।

February 8, 2009 at 7:57 PM
अभिषेक मिश्र said...

महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने.
उस महानतम को मेरी श्रद्धांजलि.


gandhivichar.blogspot.com

February 9, 2009 at 3:43 AM
www.bb2uk.webs.com said...

jankari dene ki liye aapka seh dhanyavad. is aajadi ke aggradut ko , mera sat sat naman. dhrambeer bhandari, pratap nagar

May 20, 2010 at 2:37 AM
Gajendra Bisht said...

wonderful very attaractive author.

June 25, 2010 at 1:22 AM
Unknown said...

स्वतंत्रता के अमर सेनानी को श्रीदेव सुमन दिवस पर अश्रु पूरित नमन....
अत्यंत ही भावपूर्ण आलेख ....

July 24, 2011 at 10:26 AM
Nishedh said...

shri dev suman sda amar rahen....

July 24, 2011 at 12:08 PM
shinu said...

shree sri dev suman jee ke balidan ko hum nahi bhul sakte......unke vishay mai padh kar dravit ho utha mera man.......unka balidan vishw k char sarvshrest balidano mai sey ek hai....iss lekh k liye koti koti dhanyavad...........suman jee ko sat sat naman.......suman jee amar rahenge sada

July 25, 2011 at 1:05 AM
anil pant almora said...

Sri Dev Suman ke balidaan se prerna lekar majboot uttarakhand ka nav nirman karna h........

July 26, 2011 at 8:26 AM
pari uniyal semalty said...

sri dev suman ek veer sapoot avm anuthe vyaktitv the..unke visay me jankari dene hetu dhanyawad..

July 24, 2012 at 9:54 AM
Unknown said...

Suman g Amar rhe ese mhan suman g ko mera naman

March 11, 2016 at 10:08 AM
Anonymous said...

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July 5, 2016 at 7:02 PM
Anonymous said...

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July 5, 2016 at 7:09 PM
sandy said...

ऐसी महान व्यक्ति को शत् शत् नमन |

July 25, 2016 at 12:08 AM
Unknown said...

बहुत अच्छी जानकारी प्राप्त हुई आपके माध्यम से आपका धन्यवाद। सुमन जी के जन्मदिन के सम्बन्ध में कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा। आपके अनुसार 15 मई है जबकि ज्यादातर जगह 25 मई का जिक्र है कृपया मार्गदर्शन करने का कष्ट करें

July 25, 2017 at 1:03 AM
neendedi said...

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