कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध खत्म होने के बाद द्वापरयुग के अंतिम चरण में भगवान श्रीकृष्ण एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे,
कृष्ण को श्रापवश एक जरा नाम के शबर का तीर लगा, जिससे उनकी मृत्यु हो गई.
इससे भगवान कृष्ण की मृत्यु हो गई और जब उनका अंतिम संस्कार पांडवों ने किया. लेकिन...
भगवान का पूरा शरीर तो जल गया लेकिन एक अंग नहीं जल पाया.
ये अंग था उनका दिल और इस अंग को तब समुद्र में प्रवाहित कर दिया गया
वह पवित्र हृदय जल में बहते हुए पुरी के तट पर पहुंच गया, जो एक लट्ठ का स्वरूप ले लिया था.
पुरी के राजा इंद्रद्युम्न को रात में स्वप्न आया, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने उनको दर्शन दिया और लट्ठ स्वरूप हृदय के बारे में बताया.
अगली सुबह राजा पुरी के समुद्र तट पर पहुंचे और उसे अपने साथ लेकर आए.
तब इसी लट्ठ की मदद से भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां देव शिल्पी विश्वकर्मा ने बनाईं.